मां भारती उत्संग वत्सल धारा
नैसर्गिक सौंदर्य अप्रतिम,रज रज उद्गम दैविक उजास ।
मानवता शीर्ष शोभित पद ,
परिवेश पट उमंग उल्लास ।
अपनत्व आह्लाद संबंध बंधन,
सर्वत्र स्नेह प्रेम भाईचारा ।
मां भारती उत्संग वत्सल धारा ।।
विविधा अनूप विशेषण,
एकत्व उद्घोष अलंकार ।
संज्ञा गौण कर्म पहचान,
संघर्ष विरुद्ध जोश हुंकार ।
स्वाभिमान रक्षा जीवन ध्येय,
वैचारिकी सकारात्मकता पसारा।
मां भारती उत्संग वत्सल धारा ।।
जन आभा बिंब निज संस्कृति,
व्यवहार सरित प्रवाह संस्कार ।
परंपरा अंतर उत्सविक प्रभा,
वरिष्ठ सानिध्य आनंद साकार ।
सहर्ष आत्मसात लोक रंग ढंग,
बुलंद शिक्षा विज्ञान प्रगति नारा ।
मां भारती उत्संग वत्सल धारा ।।
संविधान परिध कर्म धर्म साधना,
अधिकार पूर्व कर्तव्य निर्वहन ।
स्वच्छ स्वस्थ पर्यावरण चेतना,
सनातन लोकतंत्र आस्था गहन ।
प्रौद्योगिकी सह वैदिक अनुप्रयोग,
वसुधैव कुटुंबकम् दिव्य जयकारा ।
मां भारती उत्संग वत्सल धारा ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com