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स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत

स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत

ग्यारह सितंबर अठारह सौ तिरानवें,
अद्भुत अनुपम शिकागो धर्म संसद ।
सुन बंधु भगिनी स्नेहिल संबोधन,
समस्त श्रोता वृंद असीम गदगद ।
प्रस्तुति सर्व धर्म समभाव एकता,
विश्व बंधुत्व सांप्रदायिकता ओतप्रोत ।
स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत ।।


युवा आशा उत्साह उमंग पर्याय,
सकारात्मक परिवर्तन अग्र दूत।
सामाजिक उत्थान शिक्षा अहम,
सहज निवारक वर्ग भेद छुआछूत ।
प्रकृति सह पुनीत पावन संबंध,
आंतरिक बाह्य शक्ति प्रवाह ओत ।
स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत ।।


मोहक प्रस्तुतिकरण भारतीय दर्शन,
संस्कृति आध्यात्म ओज बिंदु ।
पाश्चात्य पटल पूर्वी चैतन्य प्रज्ञा,
हिंदुत्व अनुपमा व्याख्यान सिंधु ।
धन्यवाद ज्ञापन सर्व धर्म जननी धरा,
पुरात्तन संत परंपरा संस्कार पोत ।
स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत ।।


उत्तम पक्ष उजागर पूरब सभ्यता,
सहिष्णुता सार्वभौमिक स्वीकृति ।
तत्पर प्रयास मानवता उत्थान,
दूर कट्टरता हठधर्मिता विकृति ।
तलवार सह कलम परम आहुति,
सुख समृद्ध जग निर्माण ज्योत।
स्वामी विवेकानंद उद्बोधन,वैश्विक प्रेरणा श्रोत ।।


कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)
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