पावन पवित्र कुंभ का देश
ऐसा कौन-सा देश विशेष ,जिसे किसी से नहीं द्वेष ,
सेवा संस्कृति अजूबा पेश ,
पावन पवित्र कुंभ का देश ।
साधु संतों की होती नगरी ,
कृषकों की हो ऊॅंची पगड़ी ,
आस्था विश्वास की ये डगरी ,
सेवा सत्कार जहॅं हो सगरी ।
जहॉं हो बंधुत्व का समावेश ,
सादगी होता जहाॅं यह वेश ,
सत्कार में होते जन जन पेश ,
भारत पावन कुंभ का देश ।
गंगा यमुना सरस्वती संगम ,
जहाॅं ज्ञानी व गुणी विहंगम ,
नित्य कोटि भक्तों का स्नान ,
जहॅं मिलता भक्ति का उद्गम ।
भारत आस्था में ले महारत ,
नहीं किसी को होता क्लेश ,
देव का होता निवास जहाॅं ,
जयकारा जहॅं जय विश्वेश ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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