कदम से कदम बढ़ाए जा
कदम से कदम बढ़ाए जा, गीत वतन के गाए जा।हौसलों की भर उड़ानें, घट प्रीत रंग बरसाए जा।
मधुर यूं मुस्काए जा, खुशियों के दीप जलाए जा।
मिले राह दीन दुखी, उनको भी गले लगाए जा।
गीत गजल छंद कविताएं, कलमकार सजाए जा।
भावों की रसधार मधुर, महफिल महकाए जा।
पथ में फूल बिछाए जा, प्रेम के मोती लुटाए जा।
चैन की बंसी बजाओ, सबको अपना बनाए जा।
स्वप्न नए सजाए जा, कुछ राहें नई बनाए जा।
मुस्कानों के मोती थोड़े, हंस हंस बिखराए जा।
प्रेम सुधा बरसाए जा, हिलमिल नेह बरसाए जा।
बुलंदियों के शिखर से, नव कीर्तिमान रचाए जा।
कुछ नए तराने गाए जा, दिल का दर्द सुनाए जा।
मंजिले खड़ी राह निहारें, कदम जरा बढ़ाए जा।
सद्गुण मन अपनाए जा, मन ही मन हर्षाए जा।
खुशियों का खजाना मिले, ठौर वहीं बनाए जा।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
राजस्थान रचना स्वरचित मौलिक है
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