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लव और लव जिहाद : सजगता पर साजिश भारी

लव और लव जिहाद : सजगता पर साजिश भारी

डॉ अवधेश कुमार अवध

वैश्विक इस्लामीकरण के ख्वाब को अमलीजामा पहनाने के लिए मानव द्वारा विनिर्मित कई टुल्स हैं। इनमें आतंकवाद और लव जिहाद काफी प्रभावी है। पिछले कुछ दशकों से लव जिहाद शुरू हो गया था किंतु छद्म सेकुलरिज्म के प्रायोजित परिवेश में पलने-बढ़ने वाले सनातनियों के परिजन/पड़ोसी/ सम्बंधी जब इसकी जद में आए तब इसे स्वीकारने लगे हैं। इस्लाम और खुदा के नाम पर हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने के लिए बड़े पैमाने पर साजिश चल रही है। यद्यपि इससे बचने के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है तथापि साजिश कर्ताओं के नये-नये हथकंडे के आगे जागरुकता दम तोड रही है। इसी समस्या को लेकर दतिया मध्यप्रदेश के साहित्यकार व पत्रकार आ. जगत शर्मा "जगत" जी ने उपन्यास विधा में "लव और लव जिहाद" को लिखा है।

समीक्ष्य उपन्यास लव को कहीं भी ग़लत नहीं ठहराता है किंतु साजिश के तहत जिहादियों का समूह लव की जाल में मासूम लड़कियों को फंसाये तो इसका पुरजोर विरोध होना ही चाहिए। लव जिहाद के विरोध को लव का विरोध साबित करना भी साजिश का ही सॉफ्ट हिस्सा है। इतिहास को अपनी साजिश के तहत तोड़ मरोड़ कर पेश करना भी एक प्रकार का इंटेलेक्चुअल नक्सल ही है। इसमें सफेद फोशों का दखल, इसको मजबूती प्रदान करता है।

लव जिहाद पर प्रचुर मात्रा में शॉर्ट फिल्में बन रही हैं। एकांकी, कहानी, कविता, संस्मरण और रिपोर्ताज लिखे जा रहे हैं। टीवी डिबेट भी हो रहा है। इतनी जागरुकता के बावजूद भी जिहादियों की साज़िश भारी पड़ रही है। किशोर वय में कदम रखती हुईं लड़कियां स्वाभाविक लव के बदले लव जिहाद की शिकार हो रही हैं। यह उपन्यास इसी बिंदु पर सर्वाधिक जोर देता है। उपन्यास की मुख्य नायिका प्रायः जागरूक भी है और सजग भी। अपने आस-पास की घटनाओं से सुपरिचित भी है और बेबाकी से न केवल अपनी राय रखने में सक्षम है अपितु तर्क भी कर सकती है किंतु......किंतु जहां बस कंडक्टर से कोचिंग संस्थान के मैनेजर और इंस्पेक्टर से रजिस्ट्रार तक अर्थात् हर पेशा और हर स्तर के लोग मिलकर साजिश का जाल फैलाये हों वहां बेचारी अकेली अनु फरेबी अनवर से कैसे बच सकती है!

समस्या आधारित इस उपन्यास का समाधान भी लेखक ने बाखूबी निकाला है। लव जिहाद सम्बंधी तमाम सामग्रियों के होते हुए भी इस उपन्यास को हर हिंदू को अवश्य ही पढ़ना चाहिए। यह कहना भी अतिशयोक्ति न होगी कि हर अभिभावक को चाहिए कि बच्चों को उपहार के रूप में यह उपन्यास दें। यदि किसी पाठक ने स्वयं को या किसी अन्य को इस भयावह जाल से बचा लिया तो उपन्यास सफल माना जाएगा और आप द्वारा प्रदत्त यह उपहार अनमोल।

कृति : लव और लव जिहाद (उपन्यास)
कृतिकार : जगत शर्मा "जगत"
डॉ अवधेश कुमार अवधसाहित्यकार व अभियंता
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