तुम हवा पर गीत लिख दो
रमाकांत सोनी सुदर्शनतुम हवा पर गीत लिख दो, मैं बसंत हो जाऊंगा।
फूल बनकर खिल जाना, मैं उपवन महकाऊंगा।
तुम हवा पर गीत लिख दो
बह चले मधुर पुरवाई, जब मन मयूरा लगे झूमने।
मनमोहक मुस्कान लबों पे, भंवरे लगे डाली चूमने।
पीली सरसों लहलहाती, खेतों में छाई हरियाली हो।
प्रीत के तराने उमड़े, तुम गीत बहारों के लिख दो।
तुम हवा पर गीत लिख दो
मन का कोना-कोना हर्षित, मादकता लहराई हो।
तरुवर पल्लव पुष्प खिले, महक रही अमराई हो।
नई आशाएं नई उमंगे, तुम प्रेम भरी इक गागर हो।
प्यार के अनमोल मोती, बरसता सावन लिख दो।
तुम हवा पर गीत लिख दो
खुशियों के मेघ मंडराएं, अधरों पर मुस्कानें छा जाए।
बगिया महकी महकी सी, सुवासित गंध हर्ष फैलाए।
मन मंदिर में दीप लिए, थाल सजाकर पुष्प रख दो।
भाव भरा हृदय सजा, उर पटल शुभ वंदन लिख दो।
तुम हवा पर गीत लिख दो
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान रचना स्वर रचित व मौलिक है
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