Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

दिल गाता चले गीत, चाहें तान नहीं है।

दिल गाता चले गीत, चाहें तान नहीं है।

सुनीता सिंह
दिल गाता चले गीत, चाहें तान नहीं है।
तो क्या जो इसको लय, की पहचान नहीं है।।
वादियों फिजाओं में,बह रही हवाओं में;
मौन साधती पल में, गूंजती दिशाओं में;
निर्झर के कल- कल में, किरणों की हलचल में,
दिल संगीत की लहर, से अनजान नहीं है।।
उर्मियों के ताप को, सर्दियों के भाप को;
बहे जो मधुमास में, मधु मलय के माप को;
अहसास के तराजू, पर तौले है ये दिल,
मगर हुनर पर अपने, ये हैरान नहीं है।।
लहर सिंधु में चलती, बन कहर हृदय पलती।
तरंग जैसे चाहत, ओझल हुई निकलती।।
गाये जा ऐ दिल तू, तज के तम का घेरा,
क्या खुल कर के जीने, का अरमान नहीं है?
दिल गाता चले गीत, चाहें तान नहीं है।
 तो क्या जो इसको लय, की पहचान नहीं है।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ