Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

दिल दोस्ती और प्यार

दिल दोस्ती और प्यार

दिल दोस्ती और प्यार इन तीनों में
रहा नहीं अब सामंजस्य
पहले सुख क्या दुख में भी
हंसाते थे
हर गमों को दूर भगा देते थे
अब ईर्ष्या जलन और प्रतिस्पर्धा ने
इन्हें जकड़ लिया है इस तरह
संवेदनाएं क्षतिग्रस्त हो गयीं हैं
दुखता हुआ दिल रो पड़ता है
दोस्ती भी टूट रही है
और प्यार अब सिर्फ पन्नों में रह गया है
समय बदल रहा है
भौतिकतावादी युग में
रिश्ते मशीनी हो रहे हैं
हां समय बदल रहा है
रिश्तों को महत्व देने वाला
महामूर्ख कहलाता है।
-सविता शुक्ला

मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ