शुद्धि से सिद्धि तक,शुभ्र जीवन पथ
मानव जीवन अहम ध्येय,सुख आनंद प्रति क्षण ।
सद्गुण आदर्श सर्व व्याप्त,
सात्विकता रमण अक्षण ।
ऊर्जस्वित कदम अग्रसर,
अर्जन मनुज मनोरथ ।
शुद्धि से सिद्धि तक,शुभ्र जीवन पथ ।।
तन मन स्वस्थ स्वच्छ,
उत्पन्न नैतिक सोच विचार ।
पुलकित भाव तरंगिनी,
जड़ अस्त नैराश्य विकार ।
दया करुणा परहित काज,
कर मानव सेवा शपथ ।
शुद्धि से सिद्धि तक,शुभ्र जीवन पथ ।।
पावनता धारित परिवेश,
नित अथाह खुशियां वृष्टि ।
आदर सत्कार सर्व जन,
प्रेम अपार स्नेहिल दृष्टि ।
हिय स्पर्शन अलौकिकता,
परम दर्शन सदा सरथ ।
शुद्धि से सिद्धि तक,शुभ्र जीवन पथ ।।
असंभवता रूप विलोपन,
संभवताएं अनूप श्रृंगार ।
सहभागी रज रज आभा ,
अनुग्रह अंतर्संबंध आधार ।
जन्म जन्मांतर तिमिर अस्त,
उर ओज आरूढ़ रश्मि रथ ।।
शुद्धि से सिद्धि तक,शुभ्र जीवन पथ ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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