नई पीढ़ी नई उड़ान ,
नई उड़ान नई पहचान ,नई पहचान नया ज्ञान ,
नये युग का नया पयान ।
कितना बेहतर आलिशान ,
भारत माॅं का है अरमान ,
अपनी संस्कृति है महान ,
विश्व ने दिया मान सम्मान ।
सेवा संस्कृति जहाॅं ध्यान ,
सभ्यता शिष्टता है मेहमान ,
मित्रता बंधुत्व हो समान ,
जिनके उर बसे भगवान ।
जहाॅं कृपा वह गतिमान ,
वही होता विश्व का भान ,
जहाॅं संस्कृति है अभिमान ,
वही है लेता नई उड़ान ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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