नयन बन्द होते ही, राम नज़र आते हैं,
बन्द पलकों से, दिल में समा जाते हैं।कोई नहीं पूछता, जाति धर्म क्षेत्र क्या,
राम के बन्दे सब, राम के मन भाते हैं।
राम राम का सम्बोधन, राम भक्त कर रहे,
राम के दर्शन हेतु, राम पथ पर बढ़ रहे।
आते को राम राम, जाते को भी राम राम,
राम के नाम से, नित नये आयाम गढ़ रहे।
वाल्मीकि को मरा मरा में, राम राम भाया है,
शास्त्रों ने मुक्ति मार्ग, राम नाम बताया है।
राम सबकी कामना, राम जग की भावना,
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही, राम नाम में समाया है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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