अनंत नमामि,प्रथम यज्ञ भूखंड धरा
प्रयागराज महिमा अद्भुत अनुपम,धर्म अर्थ काम मोक्ष प्राप्ति द्वार ।
पुनीत संगम गंगा यमुना सरस्वती,
ब्रह्म विष्णु लोक दर्शन साकार।
त्रिवेणी स्नान महत्ता काया कल्पित,
जीवन सुख वैभव आनंद भरा।
अनंत नमामि, प्रथम यज्ञ भूखंड धरा ।।
वर्णन स्तुति वेद पुराण धर्मग्रंथ,
ज्ञान ध्यान जप तप परम बिंदु ।
दान पुण्य स्नान अक्षय पथ,
सनातन संस्कृति वंदना सिंधु ।
अनुपमा महाकुंभ माघ आयोजन,
अलौकिक स्पंदन संग मनुज तरा।
अनंत नमामि, प्रथम यज्ञ भूखंड धरा ।।
तन मन शुद्धिकरण महाकेंद्र,
दिव्य भव्य उपमा तीर्थराज ।
दुःख कष्ट पीड़ा मूल विलोपन,
सद्य: फलदायक हर कामकाज ।
धर्म आस्था नित्य शिखर स्पर्श,
रज रज आध्यात्म ओज बिखरा।
अनंत नमामि, प्रथम यज्ञ भूखंड धरा ।।
शुभ पदार्पण प्रवेश आर्य हिंदुत्व,
मनोरमा श्री हरि अधिष्ठाता नगरी ।
सनातनी अमृत अविरल प्रवाह,
नित परिपूर्ण मनोकामना गगरी ।
दो हजार पच्चीस महाकुंभ बेला,
रग रग अनंत उत्साह उमंग भरा ।
अनंत नमामि, प्रथम यज्ञ भूखंड धरा ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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