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प्रभु से प्यार करे

प्रभु से प्यार करे

मन मन्दिर में प्रभु बैठाओं।
मन्दिर में तुम ज्योत जलाओं।
तेरी काया बदलेगी एक दिन।
बस ध्यान लगाओं प्रभु में तुम।।


कितनों ने इस कलयुग में भी।
प्रभु से जीवन अपना जोड़ा।
तब जाकर ही उसको शांति
मिल पाई है इस कलयुग में।।


मानव का स्वभाव है चंचल।
इसलिए वो आशांत रहता है।
जबकि उसको मिलना है।
खुदके कर्मो का ही फल।।


अगर पवित्र हो तेरा मन तो।
नाता प्रभु से जोड़ जायेगा।
फिर तेरे मन के विकारो का।
अंत निश्चित ही हो जायेगा।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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