Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

संबंध: एक ऋण, किश्तें ज़रूरी

संबंध: एक ऋण, किश्तें ज़रूरी

यह कथन बिलकुल सत्य है कि "किसी से संबंध बनाना तो ऋण लेने जैसा आसान होता है किंतु संबंध निभाना किश्तें भरने जैसा कठिन होता है।" हम अक्सर भावनाओं के आवेग में आकर किसी से संबंध तो आसानी से जोड़ लेते हैं, लेकिन उस रिश्ते को निभाना, उसे सींचना, और उसे बनाए रखना एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें मेहनत, त्याग, और समर्पण की आवश्यकता होती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी बैंक से ऋण लेना तो आसान है, लेकिन उसकी किश्तें समय पर चुकाना एक जिम्मेदारी है, जिसमें चूक होने पर कई तरह की परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं।


जब हम किसी से संबंध बनाते हैं, तो हम एक तरह का भावनात्मक ऋण लेते हैं। हम उस व्यक्ति से प्यार, विश्वास, सम्मान, और सहयोग की उम्मीद करते हैं। ये सभी भावनाएँ एक तरह का निवेश हैं, जो हमें उस रिश्ते से प्राप्त होते हैं। लेकिन इन भावनाओं को बनाए रखने के लिए हमें भी कुछ देना होता है, ठीक वैसे ही जैसे ऋण की किश्तें चुकानी होती हैं।


संबंधों की किश्तें क्या हैं ...... ?


संबंधों की किश्तें कई रूपों में हो सकती हैं ......


1) समय।
2) समझ।
3) समर्पण।
4) विश्वास।
5) सम्मान।
6) संचार।


किश्तें न चुकाने के परिणाम .....


जैसे ऋण की किश्तें न चुकाने पर बैंक आपको डिफ़ॉल्टर घोषित कर देता है, वैसे ही रिश्तों की किश्तें न चुकाने पर रिश्ते कमजोर हो जाते हैं, उनमें दूरियाँ आ जाती हैं, और अंततः वे टूट भी सकते हैं।


इसलिए, रिश्तों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। किसी से संबंध बनाना जितना आसान है, उसे निभाना उतना ही कठिन है। लेकिन अगर हम ईमानदारी से, समर्पण से, और समझदारी से रिश्तों की किश्तें चुकाते रहें, तो ये रिश्ते हमें जीवन भर खुशी, संतोष, और सहारा देते रहेंगे। रिश्तों को निभाना एक निवेश है, जो हमें जीवन भर का लाभ देता है।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी) जीने की कला - 17/01/2025
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ