वैदिक मंत्रो से महाराष्ट्र भवन गुंजायमान
स्थानीय विष्णुपद मोहल्ले के काठगच्ची महाराष्ट्र भवन में परम विदुषी सुनंदा मराठे एवं प्रसिद्ध समाजसेवी प्रभाकर मराठे के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर मुंबई नागपुर बनारस तथा गया के प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा वेद मूर्ति आचार्य श्याम जी बादल के आचार्यत्व में चारों वेदों का सस्वर मंत्रोच्चारण के साथ पंडित बसंत जी पंडित बादल जी पंडित संतोष जी पंडित विपुल जी पंडित अनुपम दीक्षित जी मुरलीधर आचार्य विवेक पांडेय पराग पाएगुंडे भैया जी रटाटे पुराणिक जी पंडित अनिरुद्ध अंबेडकर जोशी ने वेद पाठ का संपूर्ण कार्यक्रम संपन्न किया इसके पूर्व आचार्य वेद मूर्ति आचार्य श्याम जी बादल ने वेद की व्याख्या संक्षिप्त रूप में की उन्होंने कहा की वेद में ज्ञान की विस्तृत चर्चा की गई है यहां जिस ज्ञान की चर्चा की गई है वह मात्र सामान्य ज्ञान नहीं है इसमें ईश्वरीय ज्ञान की सत्ता समाहित है ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद तथा अथर्ववेद इन चारों को सामूहिक रूप से वेद कहा जाता है इसमें देवता ब्रह्मांड ज्योतिष छंद व्याकरण गणित विज्ञान औषधी भूगोल इतिहास धर्म संगीत रीति रिवाज जैसे विभिन्न विषयों का ज्ञान समाविष्ट है । ऋग्वेद को सबसे प्रमुख तथा मौलिक माना जाता है यजुर्वेद मुख्य रूप से यज्ञ प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए की गई है । यह पौरोहितत्य प्रणाली का पद्धति ग्रंथ है सामवेद या भारतीय संगीत प्रेम या गायन के प्रति हार्दिक लगाव का धूतक है अथर्ववेद वैदिक कर्मकांडों से पृथक यज्ञ एवं कर्मकांडों से भिन्न विषयों का विपुल भंडार है। अथर्ववेद में ही पुत्रोऽहम पृथिव्याः अर्थात पृथ्वी मेरी माता तथा मैं उसका पुत्र हुं का उद् घोष है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे जिसमें प्रमुख रूप से गायत्री मराठे प्रीति मराठे गौरी आरबीकर पार्वती मराठे अदिति आचार्या किरण खेर प्रेरणा मराठे के अलावे विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विवेकानंद मिश्र, प्रवीण ओझा थे। संपूर्ण विधिवत कार्यक्रम अच्युत अनंत मराठे द्वारा संपन्न किया गया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पंडित देवेश आरबीकर ने उपस्थित सभी विद्वतजनों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। और उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वेद ही विज्ञान की जननी है। सनातन धर्म एवं मानवता के की रक्षा करने वाला मूल स्रोत है। जिसे भूलना नहीं चाहिए आने वाली पीढ़ी के लिए तो और भी प्रासंगिक है।
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