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आओ पेड़ लगाए मिल

आओ पेड़ लगाए मिल

आओ पेड़ लगाए मिल हरियाली हम लाएं।
हरी भरी धरती को आओ हम स्वर्ग बनाए।

पर्यावरण के बन प्रहरी कुदरत को संभाले।
प्राणवायु देते हमें आओ फर्ज को निभा ले।

एक आदमी एक पेड़ संकल्प हमको लेना।
एक वृक्ष मेरी ओर से भी बढ़कर लगा देना।

पंछियों का यही आश्रय छाया हमको देते।
फल फूल मेवा से ये झोली सबकी भर देते।

शहरों की सुंदरता वृक्ष गांवों की पहचान।
मत काटो पेड़ भाई अरे ओ स्वार्थी इंसान।

महकती हंसी वादियां गुलशन खिलते सारे।
पेड़ों पर झूला झूलते नन्हे नन्हे बाल हमारे।

वृक्ष ही वनों की शोभा खेतों में हरियाली।
उपवन बहारे भावन हंसमुख रहता माली।

बहती मंद मंद बहारें पीपल की ठंडी छांव।
कोयल मोर पपीहा नाचे सुंदर लगता गांव।

चेहरों पे मुस्कानें ले आओ मिल वृक्ष लगाएं।
तपन भरी धरती पर बहारों का मौसम आए।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनूं राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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