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हैवानियत

हैवानियत

क्यों मानवता को भूल आज,
दहशत फैला रहा मानव।
क्यों इंसानियत को छोड़ आज,
हैवानियत अपना रहा मानव।


क्यों विवेक को छोड आज,
शैतान बन रहा मानव।
क्यों अपने ही लहू पीने को,
इतना उतावला हो रहा मानव।


अपने नस्लों के सर्वनाश का,
क्यों कारण बन रहा मानव।
क्यों निज स्वार्थ के खातिर,
नित्य रक्तपान कर रहा मानव।


बदल अपनी सोंच को तुम,
बन जाओ फिर से तू मानव।
इंसानियत को गले लगाकर,
बन जा भारत माँ की संतान ।



सुरेन्द्र कुमार रंजन
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