फूलों की महक
नजारा देखकर यहाँ कादिल रुकने को कहता है।
फूलों के बाग में देखो
भवरा कुछ कहता है।
तभी तो झूलतें फूलों से
महक बहुत आती है।
जो मोहब्बत करने वालों
को बहुत ही लूभाती है।।
देखो तो फूलों की किस्मत
मोहब्बत हम करते है।
पर देखो होठों का स्पर्श
इन फूलों को मिलता है।
और क्यों दिलमें हमारे
एक हलचल सी होती है।
मोहब्बत का प्रतीक है
गुलाब का फूल तुम देखो।।
झूलतें फूल डोलते भवरें
मोहब्बत को खोजते है।
और मोहब्बत करने वालें
फूलों के बाग चुनते है।
बड़े ही किस्मत वाले है
ये बगीचे फूल के देखो।
मोहब्बत हम करते है
श्रेय पर फूलों को मिलता।।
फूलों की किस्मत का हम
अंदाज लगा नही सकते।
बहुत कोमल होकर भी
कभी खिलने से नही रोकते।
और अपना फर्ज निभाने से
कभी पीछे नही हटते।
इसलिए देकर फूलों को
मना लेते है रूठों को।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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