महीनों का राज
जीवन जीने की जान है जनवरी।प्यार करने के लिए आई फरवरी।
मार्च लेकर जो आती बच्चों को टेंशन।
फिर आशा की किरण जगाता है अप्रैल।।
मिलना मिलाना करवाती है ये मई।
एक दूसरे को दूर करवाता है जून।
प्रेमियों की यादों को जगाती ये जुलाई।
और मोहब्बत के दीप जलता है अगस्त।।
सितम बर्षाता है सदा ही सितम्बर जो।
तीज त्यौहार मानवता है देखो अक्टूबर।
मंगलित कार्य करवाने को होता नवम्बर।
और मौज-मस्ती करवाने आता है दिसम्बर।।
बहारा महीनों का दौर ऐसे ही चलता है।
जिंदगी को इन्हीं के अंदर जीया जाता है।
जो कभी ख़ुशी कभी गम लेकर आते है।
और हमको जिंदगी जीना सिखलाते है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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