यदि चाहते इतिहास दोहराना,
ब्रह्मण का फिर मान बढाना,ज्ञान दीप जलाना होगा,
वेदों का भी सार समझना,
अंतरिक्ष तक जाना होगा।
जातिगत ब्राह्मण से बढकर
विद्वान बन जाना होगा।
वेद ऋचाओं के भी सारी
ब्राह्मण नही रचयिता थे,
परशुराम और वाल्मिकी भी
नही जन्मना ब्राहमण थे।
ब्राह्मणवाद की अलख जगाकर
फिर किस दानव को कुचलोगे,
अहंकार की अलख जगाकर
ब्राह्मण को ही मसलोगे।
अ कीर्तिवर्धन
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