दुर्गेश मोहन को नेपाल में मिला अंतर्राष्ट्रीय हिंदी आशु काव्यश्री सम्मान
पटना ।चकवेदौलिया (समस्तीपुर )निवासी ब्रज नंदन मिश्र के सुपुत्र दुर्गेश मोहन जिनका कर्म क्षेत्र बिहटा( पटना) है ।ये शिक्षक एवं साहित्यकार हैं। इन्हें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी आशु काव्यश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। जिससे साहित्यकारों में हर्ष व गर्व है। ये देश-विदेश की पत्र पत्रिकाओं में सृजन और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर शब्द प्रतिभा बहु क्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय हिंदी काव्य लेखन प्रतियोगिता रखी गई थी। जिसमें काव्य के माध्यम से लेखन प्रस्तुति करनी थी। जिसका विषय था _’सबसे प्यारी मेरी हिंदी’।विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में देवनागरी के संरक्षण और आर्थिक मैत्री विकास के उद्देश्य से आयोजन किया गया था ।कविता प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका, तंजानिया, कुवैत और ऑस्ट्रेलिया से 478 प्रतिभागी भाग लिए थे। जिसमें उत्कृष्टता के आधार पर 120 रचनाकारों को चयनित कर उन्हें हिंदी आशु काव्यश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। निःशुल्क आयोजित कविता प्रतियोगिता में प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनंद गिरि मायालु का कहना है कि“ हिंदी अब मात्र भारत की भाषा नहीं रही है बल्कि इसका विस्तार इतना अधिक हो चुका है कि अब हिंदी भाषा विश्व भाषा बन चुकी है।“ आज नेपाली एवं हिंदी भाषा को मैत्री बनाकर आगे बढ़ाने की जरूरत है ।मायालु जी ने हिंदी के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को विशिष्ट स्थान दिलाया है ।मध्य प्रदेश के दतिया से सहभागी साहित्यकार मंजू खरे ने कहा कि “देश-विदेश के साहित्यकार, कवि और लेखक को आयोजक संस्था प्रोत्साहित एवं सम्मानित करती आई है।“
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