प्रथम नमन उन्हें है हमारा ,
पूर्ण किया राष्ट्रीय अरमान ।निज ईर्ष्या लोभ त्याग कर ,
तैयार किया राष्ट्र संविधान ।।
कहाॅं था तब लोभ उनका ,
सेवा निष्ठा श्रम ही संग था ।
तजकर भागा जो भारत को ,
कर्तव्यनिष्ठा देखकर दंग था ।।
द्वितीय नमन तिरंगे ध्वज को ,
जो शीर्ष व्योम लहराता है ।
कैसे मिली है हमें आजादी ,
गौरव गाथा को दोहराता है ।।
तृतीय नमन उन्हें यह हमारा ,
भारत हेतु जो बलिदान दिया ।
तन मन धन निज अर्पण कर ,
स्वयं को जो कुर्बान किया ।।
श्रद्धांजलि अर्पित उन्हें हमारा ,
वतन हेतु है जो शहीद हुआ ।
माता बहन भ्रात की कुर्बानी ,
देख गोरा गवाह चश्मदीद हुआ ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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