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भारत में रह रहे हो तो, हिन्दी में बोलिये,


भारत में रह रहे हो तो, हिन्दी में बोलिये, 
 बोलने से पहले अपने, शब्दों को तौलिये। 
 विनम्र शब्द हिन्दी में, शालीनता लिए हुए, 
 विभिन्न भाव लिए शब्द, सब राज खोलिये। 

 सीखिये भाषाएँ सभी, बोलियाँ भी सीखिये, 
 ज्ञान के भन्डार प्रचुर, सब कहीं से सीखिये। 
 भाषाएँ बोलियाँ हमारी, संस्कृति समृद्ध करें, 
 विश्व फलक पर बात हो तो, हिन्दी में बोलिये। 

 आँख को तरेरिए या आँख झुकाइये, 

 नाराज़गी हो कहीं, आँख दिखाइये। 
 पैरों में गिर माफ़ी, चरण छूने की चाह, 
 कदमों के निशां, बस हिन्दी में बनाइये। 

 हिन्दी है विलक्षण, यह सरल भी बहुत है, 
 शब्द सम्पदा हिन्दी की, विशाल बहुत है। 
 तेलगू कन्नड़ कोंकन, आपत्ति ज़रा नहीं, 
 हिन्दी राष्ट्रभाषा- विश्वभाषा, गर्व बहुत है। 

 डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

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