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कच्चे कान, शक्की नज़र, कमज़ोर मन: नरक का द्वार

कच्चे कान, शक्की नज़र, कमज़ोर मन: नरक का द्वार

 पंकज शर्मा

किसी ने क्या खूब कहा है कि "कच्चे कान, शक्की नज़र, और कमज़ोर मन, इंसान को अच्छी समृद्धि के बीच भी नरक का अनुभव कराता है।" यह कथन जीवन के एक कड़वे सत्य को उजागर करता है। अक्सर हम बाहरी परिस्थितियों को अपनी दुर्दशा का कारण मानते हैं, जबकि वास्तव में हमारी आंतरिक कमजोरियाँ ही हमारे दुखों का मूल कारण होती हैं।

कच्चे कान : कच्चे कान का अर्थ है बिना सोचे-समझे किसी की भी बात पर विश्वास कर लेना। ऐसे व्यक्ति अफवाहों और गॉसिप पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं और दूसरों की बातों में आकर अपने मन में भ्रम और संदेह पैदा कर लेते हैं। वे तथ्यों की जाँच नहीं करते और सुनी-सुनाई बातों पर ही अपनी राय बना लेते हैं, जिससे उनके जीवन में तनाव और अशांति बनी रहती है।

शक्की नज़र : शक्की नज़र का अर्थ है हर चीज और हर व्यक्ति पर संदेह करना। ऐसे व्यक्ति हर बात में षड्यंत्र और धोखा देखते हैं। वे किसी पर विश्वास नहीं कर पाते और हमेशा आशंकाओं से घिरे रहते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति उनके रिश्तों को खराब कर देती है और उन्हें अकेला कर देती है।

कमज़ोर मन : कमज़ोर मन का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान की कमी। ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी बाधाओं से भी घबरा जाते हैं और आसानी से हार मान लेते हैं। वे नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं और हमेशा डर और चिंता में जीते हैं।

जब ये तीनों कमजोरियाँ एक व्यक्ति में एक साथ आ जाती हैं, तो वह व्यक्ति अपनी ही दुनिया में नरक का अनुभव करता है। वह हमेशा तनाव, चिंता, डर और संदेह में जीता है। उसे किसी चीज में खुशी नहीं मिलती और वह हमेशा असंतुष्ट रहता है।

इसलिए, यदि हम वास्तव में खुश और समृद्ध जीवन जीना चाहते हैं, तो हमें अपनी इन कमजोरियों पर काम करना होगा। हमें अपने कानों को पक्का करना होगा, अपनी नज़र को स्पष्ट करना होगा और अपने मन को मजबूत करना होगा। हमें अफवाहों और गॉसिप पर विश्वास नहीं करना चाहिए, हर चीज पर संदेह नहीं करना चाहिए और बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए।

जब हम अपने मन को मजबूत कर लेते हैं, तो हम बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना शांत और स्थिर रह सकते हैं। हम हर परिस्थिति का सामना आत्मविश्वास और साहस के साथ कर सकते हैं।

इसलिए, आइए हम सब मिलकर अपने मन को मजबूत बनाने का संकल्प लें और एक खुशहाल और समृद्ध जीवन जिएँ।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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