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कहानी लिख रहा हूं

कहानी लिख रहा हूं

जीवन की अजब कहानी लिख रहा हूं।
लेखनी ले कागज जुबानी लिख रहा हूं ।
कहानी लिख रहा हूं

हमने लिखी है गीतों में रसधार औज की।
मनमौजी मतवाला सा ये जिंदगी मौज सी।
बस सीधा-साधा सा सबको दिख रहा हूं।
कहां है जौहरी मैं बिन भाव बिक रहा हूं।
कहानी लिख रहा हूं

वो भावों की गंगा सजी मोतियों की माला
शब्दों को पिरोया गूंथा इक गजरा निराला।
कविता की कड़ियों में खड़ा दिख रहा हूं।
मंचों पर गाता हूं कुछ नया लिख रहा हूं।
कहानी लिख रहा हूं

टूटे हैं सपने रूठे अपने अपनापन अनमोल।
दुनिया दीवानी चली वहां मिलते-मीठे बोल।
मैं अकेला ही कारवां सा बनकर दिख रहा हूं।
रोशनी हो जहां सुदर्शन रोशनी लिख रहा हूं।
कहानी लिख रहा हूं

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान रचना स्व रचित व मौलिक है
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