Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

चाहे मैं सोता रहा, चाहे मैं जागता रहा।

चाहे मैं सोता रहा, चाहे मैं जागता रहा।

समय हमसे आगे, सदा ही भागता रहा।।
जब मैं छोटा था कद में, फल उंचे लगा था।
जब मेरा कद बढ़ा, पेड़ खाली खड़ा था।।
रेस पाने और चाहत में सदा चलता रहा।
जिद थी पाने की, मन योंही मचलता रहा ।।
मैं भी अपने चाहत की जिद पर अड़ा था।
मैं नादान बनकर, समय से लड़ने चला था।।
मैं खुश हो सामर्थ्य की थैली लेकर खड़ा था।
पर सब बिक गया था, बाजार खाली पड़ा था।।
 जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ