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अपने-अपने मुद्दे सब के ,सब की अलग कहानी है।

अपने-अपने मुद्दे सब के ,सब की अलग कहानी है।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
अपने-अपने मुद्दे सब के ,सब की अलग कहानी है।
जो जैसे रस में डूबा है वैसी सगी रवानी ‌है।।
आँखमिचौली खेल खेलने वाले सधे खिलाडी़ हैं।
बूढी आँखों में भी होती थोड़ी -बहुत जवानी है।।
थैले में संसार बसाना नहीं जानता हर कोई।
जो है विज्ञ उसी के आगे यह दुनिया दीवानी है।।
संभव हो तो अपने को भी तनिक किनारा कर सकते।
कई पुराणो के पन्नों में इसकी दबी निशानी है।।
अब तो उड़नखटोले में भी व्याह रचाये जाते हैं।
मन से जहाँ चाह ली जाए सम्मुख वहीं भवानी है।।
कूड़े कचरों- से भावों को कभी व्यवस्थित कर तो लें
फिर तो निर्मल ज्वलनशील भी एक मशाल जलानी है।।
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