मेरा जीवन जैसे- तैसे
डॉ रामकृष्ण मिश्रमेरा जीवन जैसे- तैसे
पड़ा गया अखवार हुआ।
और शाम तक चलता फिरता
रहा मगर बेकार हुआ।।
गये ताजगी के दिन जिसमे
ललक भरी आकांक्षा थी।
अक्षर -अक्षर बँट जानै पर भी
थोड़ी अभिलाषा थी। ।
तथाकथित रद्दी के के जैसा
बिकने को लाचार हुआ।।
संघर्षों की पिछली बाते
फटी संचिकाओं जैसी
अनपेक्षित पत्रावर्णी की
धूल भरी काया जैसी।।
आँखों पर चढ़ गया बुढ़ापा
मन बेढब आकार हुआ।।
समय बडे साहब के जैसा
आदेशों का बंडल है।
और गृहस्थी में फुसलाता
खाली पड़ा कमंडल हे।।
चाह रही पर अब तक बैठा रहा ,
और शाम तक चलता फिरता
रहा मगर बेकार हुआ।।
गये ताजगी के दिन जिसमे
ललक भरी आकांक्षा थी।
अक्षर -अक्षर बँट जानै पर भी
थोड़ी अभिलाषा थी। ।
तथाकथित रद्दी के के जैसा
बिकने को लाचार हुआ।।
संघर्षों की पिछली बाते
फटी संचिकाओं जैसी
अनपेक्षित पत्रावर्णी की
धूल भरी काया जैसी।।
आँखों पर चढ़ गया बुढ़ापा
मन बेढब आकार हुआ।।
समय बडे साहब के जैसा
आदेशों का बंडल है।
और गृहस्थी में फुसलाता
खाली पड़ा कमंडल हे।।
चाह रही पर अब तक बैठा रहा ,
न गंगा पार हुआ।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com