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उन वीरों को है प्रणाम

उन वीरों को है प्रणाम

अपने देश के वीरों पर,
हमें बड़ा ही नाज था,
आज भी है और कल भी रहेगा।

भारत माँ की रक्षा की खातिर,
जिन्होंने जान लुटायी भी ।
अपना सर्वस्व लुटाकर भी,
भारत को आजादी दिलायी थी।

उन वीरों को है प्रणाम,
जिन्होंने शहादत पायी थी।
मरते दम तक भी जिन्होंने ,
'वंदे मातरम' की आवाज लगायी थी।

नारियों में श्रेष्ठ वीरांगना,
झांसी की वो रानी थी।
अपने कारनामाओं से जिन्होंने,
अंग्रेजों को नाच-नचाई थी।

भगत, सुभाष और आजाद ने,
हँसकर जान लुटायी थी
अपने वतन के शान की खातिर,
उन्होंने अपनी शीश कटायी थी।

तिलक, जवाहर और गाँधी ने ,
अंग्रेजों को ललकारा था।
देकर लाखों की कुर्बानी,
उनको मार भगाया था।

छब्बीस जनवरी उन्नीस सौ पचास को,
भारत एक गणतंत्र देश बना,
वो आज भी है और कल भी रहेगा।
⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
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