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चादर है छोटी, अब बढ़ने की आशा छोड़िये।

चादर है छोटी, अब बढ़ने की आशा छोड़िये।

ढंके अगर रहना है तो, खुद हाथ पांव मोड़िये।।
तुझे बनाने वाले ने, जब ऐसा किस्मत बनाया है।
भाग्य अनुसार ही तूने, जगत में सब पाया है।।
जो है तुम्हारे पास, खुश हो उसी में गुजारा करो।
क्या है किसके पास, व्यर्थ प्रलाप तुम मत करो।।
अनेक होते हुए भी, किसी को संतोष नहीं है।
थोड़ा पाकर जो संतोष कर ले, सबसे सुखी वही है।।
 जय प्रकाश कुवंर
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