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चलो कुछ उम्दा हो जाए

चलो कुछ उम्दा हो जाए

चलो कुछ उम्दा हो जाए, प्यार के गीत हम गाए।
अधर रसधार बरसाए, तराने मनभावन लाएं।
चलो कुछ उम्दा हो जाए

मोती प्यार भरे लेकर, सजाएं दिलों की महफिल।
खुशियां आपस में बांटे, जोड़े हम दिलों से दिल।
बैठ कर दो घड़ी संग में, उपवन आओ महकाए।
खिल जाए होठों पे हंसी, शब्द कुछ ऐसे बरसाए।
चलो कुछ उम्दा हो जाए

नयनों में नेह भरी दमक, दिलों में हम उतर जाए।
अतिथि स्वागत में पुष्प, राहों में सुमन सजा आएं।
भावन मनमोहक मुस्कान, गीत हमें वासंती गाए।
चलो कुछ उम्दा हो जाए

आओ घोले हम मिलकर, रिश्तो में मधुर मिठास।
शब्द सुरीले मीठे-मीठे, हर शख्स यहां है खास।
मस्त बहारों की पुरवाई, निर्झर प्रेम सरिता बहाएं।
आया है ऋतुराज बसंत, मस्त हो झूमे नाचे गाएं।
चलो कुछ उम्दा हो जाए

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनूं राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है
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