ह्रदय कमल खिल रहा,नवलगढ़ में आकर
धरा अंतर सौंधी सुगंध,अद्भुत अनुपम मोहिनी छवि ।
सर्वत्र जीवंत विरासत प्रभा,
इतिहास अनुपमा ओज रवि ।
किले महल हवेलियां मनोरम,
आनंद स्थापत्य दर्शन पाकर ।
ह्रदय कमल खिल रहा,नवलगढ़ में आकर ।।
पुनीत स्थापना सत्रह सौ सैंतीस,
ठाकुर नवल सिंह कर कमल ।
कृपा नगर सेठ बाबा रामदेव जी,
दिव्य भव्य कौमी एकता सकल ।
कदम कदम पुरात्तन आभा,
खुशियां गौरव गाथा सुनाकर ।
ह्रदय कमल खिल रहा,नवलगढ़ में आकर ।।
जन्म स्थली शीर्ष व्यापार जगत,
विश्व अर्थव्यवस्था अहम कड़ी।
जन अठखेलियां मस्त मलंग,
अथाह लोक राग रंग फुलझड़ी ।
सौम्य पर्यटन खुली कला दीर्घा,
भित्ति चित्र संग परा शैली उजागर ।
ह्रदय कमल खिल रहा,नवलगढ़ में आकर ।।
वर्ष पर्यन्त उत्सविक परिवेश,
देशी विदेशी पर्यटक शुभागमन ।
सरल सरस जनमानस छटा,
घट पट अतिथि देवो भव रमन ।
उपमा शेखावाटी स्वर्ण नगरी,
अंग प्रत्यंग सुरभि कुसुमाकर ।
ह्रदय कमल खिल रहा,नवलगढ़ में आकर ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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