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वर्तमान में जीएँ: अतीत की ग्लानि और भविष्य की चिंता से परे

वर्तमान में जीएँ: अतीत की ग्लानि और भविष्य की चिंता से परे

पंकज शर्मा

यह एक सर्वविदित सत्य है कि मनुष्य का मन या तो अतीत की स्मृतियों में खोया रहता है या फिर भविष्य की कल्पनाओं में उलझा रहता है। अतीत की गलतियाँ, छूटे हुए अवसर, और दर्दनाक अनुभव हमें ग्लानि से भर देते हैं। वहीं दूसरी ओर, भविष्य की अनिश्चितता, संभावित चुनौतियाँ, और अज्ञात आशंकाएँ हमें चिंतित करती हैं। इन दोनों ही स्थितियों में, हम उस पल को खो देते हैं जो वास्तव में हमारे पास है - 'वर्तमान'।


अतीत की ग्लानि हमें आगे बढ़ने से रोकती है। हम उन बातों पर अफ़सोस करते रहते हैं जिन्हें हम बदल नहीं सकते। यह एक ऐसी बेड़ी है जो हमें जकड़े रहती है और हमें वर्तमान में पूरी तरह से जीने नहीं देती। इसी तरह, भविष्य की चिंता हमें वर्तमान के आनंद से वंचित करती है। हम उन चीजों के बारे में सोचते रहते हैं जो अभी तक हुई ही नहीं हैं, और इस प्रक्रिया में हम आज के सुंदर पलों को अनदेखा कर देते हैं।


तो फिर इसका समाधान क्या है? इसका सीधा सा जवाब है - वर्तमान में जीना। वर्तमान में जीने का अर्थ है हर पल को पूरी जागरूकता के साथ जीना, हर अनुभव को पूरी तरह से महसूस करना, और हर अवसर का लाभ उठाना। इसका अर्थ है अतीत की ग्लानि और भविष्य की चिंता को छोड़कर, "अभी" पर ध्यान केंद्रित करना।


वर्तमान में जीने के कई फायदे हैं। यह हमें तनाव कम करने, एकाग्रता बढ़ाने, और जीवन का अधिक आनंद लेने में मदद करता है। जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हम अधिक रचनात्मक, अधिक उत्पादक, और अधिक संतुष्ट होते हैं।


इसलिए, हर पल का आनंद लें, हर अनुभव से सीखें, और वर्तमान में जीएँ। क्योंकि यही वह जगह है जहाँ जीवन वास्तव में घटित होता है।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)

पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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