जगदंबा जगदंबा
जगदंबा जगदंबा, आओ महर करो मां अंबा।तेरी शरण में तेरे चरण में, आया मां जगदम्बा।
जगदंबा जगदंबा
यश वैभव शक्ति दायनी, बल बुद्धि विधाता।
सिंह सवार चंडी भवानी, सब सिद्धियों की दाता।
रणचंडी सिद्धी दात्री, महाकाली गौरी अंबा।
ऊंचे पर्वत मंदिर मैया, ज्वाला जोत अचंभा।
जगदंबा जगदंबा
सात सुरों की मात शारदे, तुम शब्दों की दाता।
विमल मति बुद्धि दायनी, शक्ति स्वरूपा माता।
सबकी झोली भरने वाली, जग जननी जगदंबा।
सती साध्वी सुरसुंदरी, विष्णु प्रिया मां अंबा।
जगदंबा जगदंबा
ब्रह्मा वादिनी देवमाता, अनंता भव्या भवानी।
रत्नप्रिया जया दुर्गा, गुण गाते सुर मुनी ज्ञानी।
भक्त वत्सला भद्रकाली, मां मत करो विलंबा।
कालरात्रि काली कराली, संकट हरनी अंबा।
जगदंबा जगदंबा
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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