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बुजुर्ग हमारी है धरोहर

बुजुर्ग हमारी है धरोहर

वटवृक्ष सी छांव सलोनी मिले बड़ों का प्यार।
बुजुर्ग हमारी है धरोहर उनका करो सत्कार।
बुजुर्ग अनुभवों का खजाना ज्ञान का भंडार।
आशीषों में जीवन है करें हम वंदन बारंबार।

पथ प्रदर्शक हमारे परिवार को संभाले रखते।
सिर पर ठंडी छाया जीवन के अनुभव चखते।
माली बन महकाया है घर परिवार उपवन को।
निज श्रम से सींचा संस्कारों से भरे चमन को।


बुजुर्गों की सेवा करके दुआओं से झोली भरो।
अनमोल है खजाना ये सम्मान मिलकर करो।
बांटते प्रेम के मोती बहाते हैं स्नेह की रसधार।
हमको देखकर खुश होते बुजुर्ग हमारा संसार।

आयोजनों में उनको मुखिया बनाकर रखना।
चार चांद लगाएंगे सीखो रिश्तों को परखना।
बाधाएं थम सी जाती मुश्किलें हवा हो जाती।
जिस घर में बुजुर्ग हो खुशियां वहां पर आती।


रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
 रचना स्वरचित हुआ मौलिक है
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