पहली मोहब्बत
बहुत कुछ खोकर भीबहुत कुछ पा लिया।
दर्द में जीने की अब
मेरी आदात बन गई।
रहेंगें जब तक हम जिंदा
दर्द के साथ जीयेगें।
भूलकर अपने दर्द को
औरों को खुशीयाँ हम देंगे।।
दर्द और स्नेह का रिश्ता
बहुत ही घनिष्ट होता है।
स्नेह प्यार के रास्ते में
दर्द का आना स्वभाविक है।
जो जीता है दर्द के साथ
उसे प्यार सच्चा मिलता है।
और अपने जीवन को वो
खुशी के साथ जीता है।।
दर्द देने वालों से भी
बहुत गैहरा नाता है।
खुशीयाँ छीनने वालों का
बहुत आभारी भी हूँ मैं।
जिन्होंने जिंदगी में हमें
करवाया दर्द का एहसास।
और जिंदगी को कभी खुशी
तो कभी गमों में जीना सिखाया।।
डगर प्यार मोहब्बत की
कभी आसान नही होती।
जो इस पर चलता है
उसे ही पता चलता है।
भूल जायेगें रिश्ते-नाते को
मगर पहली मोहब्बत को नही।
इसलिए मेहबूबा की याद में
जी लेते है अपना जीवन।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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