मैं आऊँगा जरुर .....
तुम्हारे इंतज़ार की कसममैं आऊँगा
हाँ मैं जरुर आऊँगा।
मैं उस दिन आऊँगा
जिस दिन तुम
सिर्फ और सिर्फ मेरी होगी
तुम्हारी साँसों पर
सिर्फ
मेरा ही हक होगा,
तुम्हारा वुजूद
सिर्फ मेरी धरोहर होगा
तुम्हारी सोच का दायरा
संकुचित होकर
बस मुझ तक ही
सिमट जाएगा।
जब तुम्हारे पास
अपना कहने को भी
कुछ ना रह जाएगा।
मैं आऊँगा
उस दिन जरुर आऊँगा
अपनी हस्ती
अपनी पहचान मिटाकर आऊँगा।
मैं इस जन्म तो क्या
हर जन्म में आऊँगा
अपने अहम् को भुलाकर
स्वत्व को भुलाकर आऊँगा।
मगर
जिस दिन आऊँगा उस दिन
तुम भी तुम न रहोगी
तुम्हारी भी कोई पहचान न होगी
मान अपमान, स्वाभिमान
सब से दूर निकल जाओगी,
बस सिर्फ और सिर्फ
मेरी बनकर रह जाओगी।
बोलो
क्या मंजूर है तुम्हे
अपनी पहचान खोना
अथवा
चाहती हो केवल
मेरा
बिना वुजूद के होना?
सोचो
और सोच कर जवाब देना,
मैं आऊँगा जरुर आऊँगा
मेरा विश्वास करना।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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