अनमोल तोहफा
दिया है जो तोहफा तुमनेजिसे बता नही सकते।
अपनी खुशी को हम
छुपा भी नही सकते।
मना जो किया उसने
इसे बताने के लिए।
अब करें तो क्या करें हम
की बना रहे हमारा संतुलन।।
आदर और सम्मान से बनी थी
जीवन साथी तुम मेरी।
तभी से मिल रही निरंतर
मुझे खुशियाँ ही खुशीयाँ।
दिया है जो साथ तुमने
हमारे हर सुख दुख में।
और सभारा है जिंदगी को
साथ मेरा देकर तुमने।।
समझ आ गया होगा की
कौन सा तोहफा मिला।
जिसे हम और वो भी
छुपाये छुपा नही सकते।
और स्वयं ही सबको पता
चल जायेगा इसका।
रखा मान उसका भी मैंने
और बिना कहे बता भी दिया।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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