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बजट 2025-26: NGOs की उपेक्षा पर बिहार के गैर-सरकारी संगठनों की गहरी चिंता !

बजट 2025-26: NGOs की उपेक्षा पर बिहार के गैर-सरकारी संगठनों की गहरी चिंता !

पटना, फरवरी 05, 2025– बिहार के प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की एक विशेष संगोष्ठी एनजीओ हेल्पलाइन (सूचना शक्ति) के तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसमें केंद्रीय बजट 2025-26 में NGOs के लिए किसी विशेष प्रावधान के अभाव पर चर्चा की गई। संगोष्ठी में बिहार के विभिन्न सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

एनजीओ हेल्पलाइन (सूचना शक्ति) के निदेशक मानसपुत्र संजय कुमार झा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, "भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट 2025-26 में गैर-सरकारी संगठनों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है। सरकार की यह उपेक्षा चिंता का विषय है, क्योंकि समाज के सबसे कमजोर तबकों तक सेवाएँ पहुँचाने में NGOs की अहम भूमिका होती है। लेकिन सरकार ने न तो वित्तीय सहायता प्रदान की है, न ही FCRA नियमों में कोई राहत दी है। इससे सैकड़ों संस्थाएँ प्रभावित हो रही हैं और उनका अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है।"

उन्होंने आगे कहा, "आज की संगोष्ठी में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, वे दर्शाते हैं कि बजट 2025-26 में NGOs के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता थी। सरकार को NGOs के लिए विशेष अनुदान योजनाएँ बनानी चाहिए थीं, CSR फंडिंग में सुधार लाना चाहिए था, और कर छूट के नियमों को और अधिक प्रभावी बनाना चाहिए था ताकि यह क्षेत्र सशक्त हो सके।"

संगोष्ठी में उठाए गए मुख्य मुद्दे उठाए गए जिसमें FCRA नियमों की कठोरता पर संगोष्ठी में मौजूद बिहार की कई NGOs, जैसे बिहार ग्रामीण सेवा संघ, महिला सशक्तिकरण मिशन, ग्राम विकास परिषद आदि ने FCRA की जटिलताओं पर चिंता जताई। इन संगठनों ने बताया कि विदेशी फंडिंग में आई कमी के कारण कई कल्याणकारी कार्यक्रम ठप पड़ गए हैं। वित्तीय संकट और कर छूट की कमी पर भी रोष संगोष्ठी में व्यक्त किया गया! यह भी चर्चा हुई कि सरकार ने NGOs को कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता देने की योजना नहीं बनाई है। नारी सुरक्षा सेना की सेना प्रमुख ने बताया कि 80G और 12A के अंतर्गत कर छूट में कोई नया प्रोत्साहन नहीं दिया गया, जिससे दानदाताओं की संख्या में गिरावट आई है। ग्रामीण और महिला केंद्रित योजनाओं का अभाव की चर्चा हुई और महिला और ग्रामीण विकास पर कार्य कर रहे NGOs ने इस बात पर निराशा जताई कि सरकार ने इस क्षेत्र में विशेष सहायता देने की कोई नीति नहीं बनाई। हमारा भारत - हमारा भविष्य के अध्यक्ष ने कहा कि बजट में छोटे NGOs को कम ब्याज पर ऋण देने की कोई योजना नहीं रखी गई, जिससे वे अपने सामाजिक कार्यों को जारी रख सकें।

अंत में NGOs की मांगें और सुझाव का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया गया , जिसमें संगोष्ठी में उपस्थित सभी NGOs ने संयुक्त रूप से सरकार से निम्नलिखित सुधारात्मक कदम उठाने की माँग की कि NGOs के लिए विशेष फंडिंग योजना बनाई जाए, जिससे समाजसेवी संस्थाएँ बिना वित्तीय संकट के कार्य कर सकें। FCRA नियमों में सुधार कर, सही नीयत से कार्य कर रही NGOs को राहत दी जाए। CSR फंडिंग के नियमों को सरल बनाया जाए ताकि अधिक से अधिक कंपनियाँ NGOs को सहयोग कर सकें। NGOs को कर छूट और प्रोत्साहन दिया जाए, विशेष रूप से 80G और 12A के अंतर्गत दान पर अधिक छूट प्रदान की जाए। PPP मॉडल (सरकारी-गैर सरकारी भागीदारी) को प्रोत्साहित किया जाए ताकि NGOs सरकारी योजनाओं में सहभागी बन सकें।

संगोष्ठी के अंत में, एनजीओ हेल्पलाइन (सूचना शक्ति) के निदेशक मानसपुत्र संजय कुमार झा ने कहा, "यदि सरकार सामाजिक सुधारों को प्रभावी बनाना चाहती है, तो उसे NGOs की भूमिका को पहचानना होगा और उन्हें उचित वित्तीय और कानूनी समर्थन प्रदान करना होगा। NGOs सरकार की सामाजिक योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं, लेकिन अगर उनकी समस्याओं को अनदेखा किया गया, तो समाज के सबसे वंचित वर्गों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।"उन्होंने आगे कहा कि एनजीओ हेल्पलाइन (सूचना शक्ति) सरकार तक इन माँगों को पहुँचाने के लिए एक विशेष अभियान चलाएगी, ताकि बजट में आवश्यक संशोधन किए जा सकें और NGOs को उनके सामाजिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में सहायता मिले।

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