||| नया आयकर विधेयक 2025: एक संक्षिप्त विश्लेषण |||
मानसपुत्र सीए. संजय कुमार झाप्रस्तावना :
भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नया आयकर विधेयक, 2025 एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुधार माना जा रहा है। हालाँकि, यह विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के सिद्धांतों पर ही आधारित है, जिसमें कुछ शब्दावली और प्रक्रिया-सम्बंधी सुधार किए गए हैं। इसमें कोई क्रांतिकारी या संरचनात्मक बदलाव नहीं किए गए हैं।
नीचे इस विधेयक के प्रमुख प्रावधानों का संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है—
1. प्रमुख परिवर्तन और संशोधन
1.1. “TAX YEAR” की नई अवधारणा
नए विधेयक में पिछला वर्ष (PY) और निर्धारण वर्ष (AY) की परिभाषा को हटाकर “TAX YEAR” की नई अवधारणा पेश की गई है। यह बदलाव केवल शब्दावली को सरल बनाने के लिए किया गया है और इसका करदाताओं पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
1.2. अनुभागों की संख्या में बदलाव
* पुराने आयकर अधिनियम, 1961 में लगभग 298 अनुभाग थे, जो इस नए विधेयक में घटकर 536 अनुभाग रह गए हैं।
* हालाँकि, 1961 के अधिनियम में वास्तविक रूप से लगभग 550 अनुभाग थे, क्योंकि उसमें अक्षरों से विभाजित अनुभाग (जैसे 80C, 80D, 234A, 234B) शामिल थे।
* इसलिए, कुल मिलाकर अनुभागों की संख्या में कोई विशेष कमी नहीं हुई है।
1.3. अनुसूचियों (Schedules) का नया उपयोग
नए कानून में कुछ महत्वपूर्ण कर प्रावधानों को “अनुसूची” (Schedule) के रूप में रखा गया है:
* धारा 11(5) के अंतर्गत ट्रस्ट फंडों में निवेश संबंधी प्रावधान को एक अलग अनुसूची में रखा गया है।
* धारा 10 के अंतर्गत आने वाली कर-मुक्त आय (Exempt Income) को भी एक अलग अनुसूची में सम्मिलित किया गया है।
1.4. नया कानून कब लागू होगा?
यह विधेयक वित्त वर्ष 2026-27 से प्रभावी होगा, यानी 1 अप्रैल 2026 से करदाताओं को इस नए कानून का पालन करना होगा।
2. कराधान की संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं
2.1. आय के पांच स्रोत यथावत रहेंगे
नए विधेयक में आय के पांच स्रोत (Income Heads) पूर्ववत रखे गए हैं:
1. वेतन से आय (Income from Salary)
2. संपत्ति से आय (Income from House Property)
3. व्यवसाय या पेशे से आय (Income from Business or Profession)
4. पूंजीगत लाभ (Capital Gains)
5. अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources)
2.2. छूट और कटौतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं
* धारा 10 के अंतर्गत कर-मुक्त आय (Exempt Income) को एक अलग अनुसूची में रखा गया है, परंतु इसमें कोई नया बदलाव नहीं किया गया है।
* धारा 80C से 80U तक की कटौतियाँ (Deductions) अधिकतर पहले जैसी ही हैं, लेकिन पुरानी धारा 80C को धारा 123 में पुनः क्रमांकित किया गया है।
* लाभ-आधारित कटौतियाँ (Profit-linked deductions) पूर्ववत हैं, जबकि उम्मीद की जा रही थी कि इन्हें समाप्त किया जाएगा।
2.3. स्रोत पर कर कटौती (TDS) के नियमों में सरलीकरण
* TDS (Tax Deducted at Source) प्रावधानों को आंशिक रूप से सरल बनाया गया है।
* पिछले दो वित्त अधिनियमों (Finance Acts) में पहले से ही कुछ सरलीकरण किए गए थे, इसलिए इस विधेयक में कोई बड़े बदलाव नहीं हैं।
2.4. व्यवसाय और पेशे के लिए कर प्रावधान समान
व्यवसायों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट कर कटौतियाँ (Sector-wise Deductions) पहले जैसी ही बनी हुई हैं।
* पूर्व-निर्धारित कर व्यवस्था (Presumptive Taxation Scheme) के अंतर्गत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है:
* छोटे व्यापारियों के लिए 8% और 6% की दरें
* पेशेवरों के लिए 50% की दर
3. कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं
3.1. विभिन्न कर संबंधी कार्यवाहियों में स्थिरता
मूल्यांकन (Assessment), अपील (Appeal), पुनरीक्षण (Revision), विवाद समाधान पैनल (DRP), और संशोधन (Rectification) की प्रक्रियाएँ पहले जैसी ही बनी हुई हैं।
3.2. सांसदों और विधायकों को मिलने वाला भत्ता जारी रहेगा
“प्रतिदिन और क्षेत्रीय भत्ते” (Daily & Constituency Allowances) सांसदों (MPs) और विधायकों (MLAs) के लिए कर-मुक्त रहेंगे।
3.3. राजनीतिक दलों को कर छूट जारी रहेगी
राजनीतिक दलों को कर-मुक्ति (Tax Exemption) का लाभ पहले की तरह मिलेगा।
4. कर ऑडिट सीमा में संशोधन
4.1. सामान्य व्यवसायों के लिए सीमा बढ़ाई गई
नए विधेयक में कर ऑडिट की सीमा को संशोधित किया गया है:
* पहले यह सीमा ₹1 करोड़, ₹2 करोड़, और ₹3 करोड़ के बीच थी।
* अब इसे ₹5 करोड़ कर दिया गया है।
4.2. कम नकद लेन-देन वाले व्यवसायों को राहत
यदि किसी व्यवसाय का नकद टर्नओवर (Cash Turnover) 5% से कम है, तो उसके लिए कर ऑडिट की सीमा ₹25 करोड़ होगी।
4.3. पेशेवरों के लिए कर ऑडिट सीमा
धारा 44AD के अंतर्गत आने वाले पेशेवरों के लिए कर ऑडिट की सीमा को ₹1 करोड़ तय किया गया है।
निष्कर्ष
नया आयकर विधेयक, 2025 कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं लाता। यह मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की संरचना पर ही आधारित है और इसमें केवल शब्दावली में सुधार, कर प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने और कुछ सरलीकरण पर ध्यान दिया गया है।
* कुछ तकनीकी और प्रशासनिक बदलाव जैसे "TAX YEAR" की अवधारणा, अनुसूचियों का प्रयोग, और कर ऑडिट सीमा में संशोधन किए गए हैं।
* कर-मुक्त आय, कटौतियाँ और कर-निर्धारण की प्रमुख धारणाएँ ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
* व्यवसायों, पेशेवरों और राजनीतिक संस्थानों के लिए कोई महत्वपूर्ण कर लाभ या हानि नहीं हुई है।
संक्षेप में कहा जाए तो यह विधेयक "पुरानी शराब को नई बोतल में" पेश करने जैसा है, जिसमें संरचनात्मक सुधारों या कर सुधारों की कोई नई दिशा नहीं दिखती।
सीए. मानसपुत्र संजय कुमार झा !
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