आचार्य रामलोचन शरण की 'मनोहर पोथी' पढ़कर बिहार ने हिन्दी सीखी, 94वर्ष की आयु में भी साहित्य की सेवा में सक्रियता से रत हैं डा शिववंश पाण्डेय
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- साहित्य सम्मेलन में जन्मोत्सव पर सम्मानित हुए डा पाण्डेय, आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन
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डा शिववंश पाण्डेय को पुष्पहार और वंदन-वस्त्र से सम्मानित करते हुए डा सुलभ ने कहा कि यह साहित्य सम्मेलन के लिए और बिहार के लिए गौरव का विषय है कि इस आयु में भी वे सक्रिए और अहर्निश साहित्य-सेवा कर रहे हैं। इनके संपादन में सम्मेलन द्वारा 1008पृष्ठों के अत्यंत मूल्यवान ग्रंथ 'बिहार की साहित्यिक प्रगति' का प्रकाशन हिन्दी को दिया गया एक ऐतिहासिक अवदान है। साहित्यालोचन में निरन्तर हो रहे इनके अवदान को आनेवाली पीढ़ियाँ गौरव से स्मरण करती रहेंगी।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHBE_Yx8jRxv1doXSWLTCP8w-Ksc7-glYrU0ypCUVVR6dhAEWxxTcj1SU5sJ68JQL2F9pYwtmg-f98sKaxUaJxfiM9KbXb1_rLojyb5nOsCTvOkEAsagyFxLM3Rv4SB3voDZW6MYne9cFGofkoA7QhUmSEbf_50p_a1ElDdAkxVZGp8XCCBFD_FeWTepTZ/s320/WhatsApp%20Image%202025-02-09%20at%205.37.04%20PM.jpeg)
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आचार्य शरण के पुत्र सीता शरण ने कहा कि बनारस के कुछ विद्वानों ने उनके समक्ष बिहार के साहित्यकारों की बड़ी आलोचना की। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने बिहार के साहित्यकारों की हिन्दी-सेवा पर एक ग्रंथ का प्रकाशन किया और बिहार की साहित्यिक सेवा की आलोचना करने वालों को कड़ा उत्तर दिया। उन्होंने 'पुस्तक भण्डार' नामक प्रकाशन संस्थान की स्थापना की और बिहार के ही नहीं देश के अनेक नामी-गिरामी साहित्यकारों की पुस्तकें छापी। उन्होंने अपना उपनाम 'बिहारी' रख लिया था।
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इस अवसर पर आयोजित लघुकथा कथा-गोष्ठी में प्रो सुधा सिन्हा ने 'जुर्म', डा मीना कुमारी परिहार ने 'घरौंदा', मीरा श्रीवास्तव ने 'बुढ़ापा', शमा कौसर 'शमा' ने 'वो कौन था', सरिता कुमारी ने 'गंगिया', कुमार अनुपम ने 'पर्यावरण', श्याम बिहारी प्रभाकर ने 'अभिनन्दन', डा आर प्रवेश ने 'कथा-वाचक', रौली कुमारी ने 'यमराज का संदेश', अरविंद अकेला ने 'सुकून की ज़िंदगी' तथा नीता सहाय ने 'सिलेंडर बम' शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
समारोह में, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, नीलम लोचन, मिहिर लोचन शरण, शम्भुनाथ पाण्डेय, डा अर्चना त्रिपाठी, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, शंकर शरण आर्य, श्याम मनोहर मिश्र, सरिता कुमारी, डा प्रतिभा रानी, उषा देवी, मदन मोहन ठाकुर, प्रवीर कुमार पंकज, दिनेश्वर लाल 'दिव्यांशु', प्रेम अग्रवाल, गणेश प्रसाद आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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