आचार्यश्री से मुनियों की प्रार्थना
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा।
कही छूट जाये ना, साथ तुम्हारा ...२।।
तेरे सिवा दिलमें, समाये न कोई।
लगन का ये दीपक, बुझाये ना कोई।
तुम्ही मेरी कश्ती, तुम्ही हो किनारा।
कही छूट जाये ना, साथ तुम्हारा।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा।
कही छूट जाये ना, साथ तुम्हारा।।
तेरे नाम की मैं, जाप करू और।
सुबह शाम तुमसे, ज्ञान भी पाऊँ।
तेरा नाम है मुझको, प्राणों से प्यारा।
कही छूट जाये न, साथ तुम्हारा।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा।
कही छूट जाये न, साथ तुम्हारा।।
तेरे बताये मार्ग पे, चलता रहूँ मैं।
धर्म ध्वजा की, फेरता रहूँ मै।
दे दो मुझको आशर्वाद, गुरुवर अपना।
भटकू न दुनिया में, हरगिज कही पर।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा
कही छूट जाये ना, साथ तुम्हारा।।
बड़ा पुण्य किया जो, मनुष्य जन्म पाया।
फिर अपना शिष्य मुझे, तुमने बनाया।
मूल भी पाया गुरुवर, ब्याज भी पाया।
शरण आपकी में रहकर, सब कुछ पाया।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा।
कही छूट जाये ना, साथ तुम्हारा।।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा।
विद्या सागरजी मुझको, देना सहारा
कही छूट जाये न, साथ तुम्हारा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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