लालू-राबड़ी शासनकाल में मुख्यमंत्री आवास में अपहरण के मामले डील होते थे:-सुभाष यादव।
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संवाददाता रमेश कुमार के द्वारा संकलित |
लालू प्रसाद यादव को कुछ लोग गरीबों का मसीहा कहते हैं। पता नहीं उन्हें लालू प्रसाद में ऐसा क्या दिखता है कि वो उन्हें मसीहा नजर आते हैं। लालू प्रसाद के साले सुभाष यादव ने कहा है कि लालू-राबड़ी शासनकाल में मुख्यमंत्री आवास में अपहरण के मामले डील होते थे। खुद लालू प्रसाद यादव फिरौती की रकम तय करते थे। कई लोगों को यह बात पच नहीं रही है। इनमें ज्यादातर ऐसे सामान्य लोग हैं जो कभी भी मुख्यमंत्री आवास नहीं पहुंच पाते और अगर किसी जगत-जुगाड़ से पहुंच भी गए तो 5- 10 मिनट से ज्यादा वहां रुकने का उन्हें अवसर नहीं मिलता। ऐसे लोग कुछ अधिक ही दावे के साथ यह कह रहे हैं कि सुभाष यादव के आरोप झूठे हैं। कुछ वैसे लोग भी हैं जिनका मुख्यमंत्री आवास में तब उठना-बैठना और कभी-कभी तो रुकना-ठहरना भी होता था। ये लोग भी लालू प्रसाद को गरीबों का मसीहा साबित करने के लिए उछल-कूद मचाते दिख रहे हैं।
जो पहले लोग हैं वो तो चलिए सामान्य लोग हैं। आम लोग हैं। महलों की ऊंची चहारदीवारी के भीतर क्या-क्या होता है ये सब नहीं जानने वाले लोग हैं। वे तो सिर्फ जातिवादी राजनीति की आगोश में हैं और लालू प्रसाद का बचाव कर रहे हैं । लेकिन जिन लोगों ने ऊंची चहारदीवारी के भीतर से संचालित हो रहे जरायम का जंगल देखा है वो क्यों झूठ बोल रहे हैं! इसके स्पष्ट तीन कारण मैं समझता हूं। पहला, वो खुद उस जंगल के आदमखोर जानवर रहे और वो जानते हैं कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। दूसरे वो हैं जिनका दिमाग जाति और जातिवादी राजनीति के प्रचंड पिछड़ेपन का शिकार है। ये उससे ऊपर उठकर दुनिया को देख ही नहीं पाते। ऐसे धृतराष्ट्र लालू प्रसाद का बचाव करेंगे और तीसरे ना तो उस जंगल के आदमखोर जानवर हैं और ना ही जाति के कुएं में धकेले गए मेंढक। ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की मलाई चाटनी है और इसके लिए सुबह से शाम तक झूठ बोलते हैं, झूठ सुनते हैं और झूठी जिंदगी जीते हैं। वरना उस दौर को देख चुके किस आदमी को यह नहीं पता है कि सैकड़ों अपहरण के मामलों में फिरौती की रकम मुख्यमंत्री आवास में ही पहुंचाई गई है और खुद लालू प्रसाद यादव ने ही अपहरणकर्ता और अपहृत के परिजनों के बीच वो रकम तय की।
आप किसी भी उद्देश्य के लिए झूठ बोल रहे हों लेकिन, झूठ तो झूठ है। आप एक सामाजिक अपराध तो कर ही रहे हैं। और वह भी तब जबकि आप यह जानते हैं कि उस लूट की रकम में से आपको चवन्नी तक नहीं मिलने वाली। और यह तर्क ही झूठ है कि लालू प्रसाद गरीबों के मसीहा हैं। गांव-देहात में छोटी दुकान चलाने वाला कोई धन्ना सेठ तो होता नहीं है। उसका भी अपहरण होता था। पैबंद लगे पजामे पहनने वालों का भी अपहरण हुआ है और मुर्गी बेचने वालों का भी अपहरण हुआ है। एक-डेढ़ बीघा के जोतदार के बेटों का भी अपहरण हुआ है प्राइमरी स्कूल के मास्टर साहब भी अगवा किए गए हैं। तो किन गरीबों के मसीहा हैं लालू प्रसाद!
पशुपालन घोटाले के तीन अलग-अलग मामलों में 11 साल से अधिक की सजा हुई है इस कथित मसीहा को। और ये सजाएं किसी पार्टी ने या किसी सरकार ने नहीं दीं। बाजाप्ता अदालतों में ये साबित हुआ कि लालू प्रसाद घोटालेबाज हैं। लालू प्रसाद ने बिहार को लूटा है, लालू प्रसाद चोर हैं, प्रमाणित सत्य है यह। और प्रमाणित सत्य के आधार पर मुख्यमंत्री की कुर्सी से उठाकर जेल भेजा गया उनको। और जिस विभाग के पैसे उन्होंने लूटे वो विभाग धन्ना सेठों का नहीं है और न तब था। वह विभाग गांव के गरीब-गुरबों का ही था। बकरियां पाल के, भेड़ पाल के और भैंस चरा के जीवन बिताने वालों का धन लूटा है लालू प्रसाद ने। यह कैसा गरीबों का मसीहा है भाई!
लालू प्रसाद जब रेल मंत्री बने तो नौकरी के बदले किनकी जमीनें लिखवाई? रेलवे के ग्रुप डी में किसी धन्ना सेठ का बेटा जाता है क्या? वहां भी तो गरीब के बच्चे ही जाते हैं। पहले उनकी जमीन हड़पी और फिर उन्हें गैंगमैन और चपरासी की नौकरी दी। ये कैसा गरीबों का मसीहा है भाई! मुझे आश्चर्य होता है कि जाति के जंगल में भटकते पढ़े-लिखे लोग भी बिहारी समाज को पिछड़ेपन की ओर धकेलने को बेचैन दिखते हैं। सिर्फ इसलिए ताकि, लालू परिवार सत्ता में बना रहे। ये वही लोग हैं जो हफ्तों पटना की सड़कों पर खाक छान कर अपने गांव लौट जाएंगे लेकिन राबड़ी-लालू आवास में दाखिला भी नहीं मिलेगा। दूर से ही फटकार दिए जाएंगे। ये छाती कूटने वाले लोग भी अच्छी तरह से जानते हैं कि बिहार के पिछड़ेपन का दंश उन्हें भी उतना ही भोगना है जितना मुझे या किसी और को। इसलिए थोड़ा तार्किक बनिए। कुतर्कों के सहारे एक प्रमाणित घोटालेबाज के पक्ष में, जिसने बिहार को जंगल राज में धकेला था खड़े होकर आप अपने बाल-बच्चों के लिए अच्छा बिहार नहीं बना पाइएगा। और एक बात लिखकर रख लीजिए लालू प्रसाद ने उसी सुभाष यादव को राज्यसभा सांसद बनाया था आपके परिवार से किसी को नहीं बना दिया था। और आगे भी जब मौका मिलेगा तो तेजस्वी यादव के साले को ही बनाएंगे आपको या आपके बच्चे को नहीं।
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