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कृपा करो हे हंसवाहिनी

कृपा करो हे हंसवाहिनी


दया करो मा ज्ञानदायिनी ,
कृपा करो हे हंसवाहिनी।
तेरी कृपा जिसपर हो जाय,
मंद बुद्धि भी ज्ञानी हो जाय ।


मन से जो करते तेरी से‌वा,
वो पाते हैं ज्ञान रूपी मेवा।
ज्ञान की तू भंडार है मॉं
भक्तों से करती प्यार तू माँ ।


ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित कर,
अज्ञानता को तू मिटा दे माँ ।
हर कर सबकी कुमति तू,
सुमति सभी में भर दे माँ ।


करो निवास मन मंदिर में मेरे,
विनती मेरी तुम से है माँ।
रहूं तेरी चरण कमलों में मैं ,
हार्दिक इच्छा मेरी है माँ ।


नीर-क्षीर विवेकी बनने की,
दो मुझे शक्ति तू मॉं।
करूँ सेवा निः स्वार्थ भाव से,
ज्ञान मुझे ऐसी दो माँ ।



⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
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