सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सूर्य संदीप्तिमानफैलायी जिसने ज्ञान की ज्योति।
साहित्य सृजन हेतु
दे दी निज जीवन की आहुति।
वह था निराला
मस्त मतवाला।
जीवन जगत से लेकर
साहित्य सर्जना तक
नया पथ गढ़ने वाला।
इंसान था वह आला
जिसे कहते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
सादा जीवन ऊंचे थे जिसके विचार
निर्धनता से जो लड़ता रहा लगातार।
फिर भी मानी नहीं जिसने कभी हार।
इसीलिए अपराजेय कहलाए निराला
पथ गढ़ने वाला इंसान था वह आला।
भिक्षुक की पीड़ा
इसने ही आत्मसात किया।
तोड़ती पत्थर की
नवयौवना की व्यथा का जहर
इसी महामानव ने पीया।
जहर पीकर अमृत लुटाना
जिसका था लक्ष्य ललाम।
उस महान अपराजेय निराला को
कोटि-कोटि प्रणाम।
दुर्गेश मोहन
बिहटा, पटना (बिहार)
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