वसंत हृदय में धार ले, कहती है नव भोर
डॉ राकेश कुमार आर्यमधुमय यह वसंत है शुभ हो मंगल मूल।
उल्लसित हैं सब दिशा खिल रहे प्यारे फूल।।
सरसों फूली खेत में, बिखर गया है रंग।
प्रकृति बतला रही, जीने का नया ढंग।।
सरस रस हृदय पीओ, करो सदा आनंद।
ओ३म नाम सिमरा करो कट जाएंगे फंद।।
घृणा की ठिठुरन गई, प्रेम है भावविभोर।
वसंत हृदय में धार ले, कहती है नव भोर।।
कड़वाहट से जीभ को, क्यों देता है कष्ट।
मधुमय जिव्हा को बना, संकट होंगे नष्ट।।
प्रेमपूर्ण शुभकामना वसंत बनो तुम स्वयं।
जीवन प्रेरक धारिए, अपने धारक स्वयं।।
तप:पूत हो राष्ट्र के , भारत मां के लाल।
विश्व गुरु भारत बने, जिओ अनंता काल।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com