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जब भी कोई गीत लिखूंगा

जब भी कोई गीत लिखूंगा

जब भी कोई गीत लिखूंगा।
भाव भरी मनप्रीत लिखूंगा।
शब्द शब्द अधरों पे गूंजते।
रोशन हो हृदय रीत लिखूंगा।

कलमकार की शक्ति लेखनी।
निर्बल की हिम्मत सहारा भी।
सुखनवर की गजल मधुर सी।
कवि का गीत कोई प्यारा भी।
काव्य कलश से रसधारो की।
प्रीत उमड़ता गीत लिखूंगा।

रचनाकार रचता कोई रचना।
लेखक का सुंदर सा लेख भी।
सृजनकार सृजित करता है।
वृतचित्र मधुरम आलेख भी।
सांसों का स्वर मीत लिखूंगा।
जब भी कोई गीत लिखूंगा।

अनुपम रचना सृष्टिकार की।
कृति है भावन कृतिकार की।
मन के तारों को जब छू जाती।
कविताएं वीणा के झंकार सी।
छंदों की भाषा में भाव रखूंगा।
मैं जब भी कोई गीत लिखूंगा।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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