विज्ञान-कथा-साहित्य में हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है 'वेव एलियंस'![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho-WOOjMamkE1FIzdNHCMiSEcAiqD0RPepSSqJLwATtpRA0DokaxkCsV3zG7fU6IQVq6l4Jv9ZYxFILsPf-KuzWvsm4Q4sPXTqD1w9KceY_B5OkjS7tNebaFnqCFcQ7MGEuQxj5IrmQqm42PBfD9mjLiTaBzdbK_sFrnB6Ua_F9WpcDJKqfxwTUDU4P2Ob/s320/WhatsApp%20Image%202025-02-12%20at%205.11.32%20PM.jpeg)
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- साहित्य सम्मेलन में हुआ डा रमेश पाठक के उपन्यास का लोकार्पण, आयोजित हुई लघुकथा-गोष्ठी ।
पटना, ११ फरबरी। सर्वश्रेष्ठ विज्ञान-कथा धारावाहिक के रूप में प्रसार-भारती, भारत सरकार से पुरस्कृत और आकाशवाणी, पटना से प्रसारित धारावाहिक 'वेव एलियंस' के लेखक डा रमेश पाठक का इसी नाम से प्रकाशित उपन्यास 'वेव एलियंस' हिन्दी में विज्ञान-कथा-साहित्य का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है। इस उपन्यास ने पृथ्वी के अतिरिक्त ब्रह्माण्ड में अन्य ग्रहों पर जीवन होने के विचार को एक नयी दृष्टि से देखने का सूत्र दिया है, जो इस वैज्ञानिक-खोज को चमत्कृत रूप से नयी दिशा दे सकता है।
यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित पुस्तक-लोकार्पण-समारोह एवं लघुकथा-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए,सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज के प्रसंग में अबतक इस दृष्टि से विचार किया जा रहा है कि वहाँ भी पृथ्वी के प्राणियों के समान ही जीवन के तत्त्व होंगे। किंतु इस उपन्यास ने चिंतन को एक नयी दृष्टि देते हुए यह स्थापना देने की चेष्टा की है कि अन्य ग्रहों पर जीवन के तत्त्व भिन्न भी हो सकते हैं। वे तत्त्व, पंच महाभूत अर्थात क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर न होकर, हमारे जैसे 'हांड-मांस' का देह न होकर, कुछ और भी हो सकता है। जैसे 'वेव' या 'तरंग' मात्र भी।
वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक के लेखक पाठक जी साहित्य और विज्ञान के बीच अद्भुत समन्वय रखते हैं। इनमे साहित्य भी है और विज्ञान भी। विज्ञान का छात्र होते हुए भी ये साहित्य की सेवा कर रहे हैं। क्योंकि विज्ञान से इनका गहरा संबंध रहा है, इन्होंने विज्ञान-साहित्य को बहुत बल दिया है। 'वेव एलियंस' एक अद्भुत उपन्यास है, जिसका आकाशवाणी, पटना से १३ कड़ियों में धारावाहिक नाटक के रूप में प्रसारण हुआ था।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvMjT2jGtQBji2wVPuVPYeOJ0uk2pv6Op-5GV5q2ScVcOazTOq5YnFyDVlcWqA4yCfXe3GmQVqAgoggXZ8jVA2xnk-5IsTfxiOqpEiC16uuztND0q4_L9c5GLHnd6vPAdGLt6k6QzE92Gw5WYs8_8S2IMv8Y3-LMViAzKiydYgzPA_y3wmt0K7Nt_B583o/s320/WhatsApp%20Image%202025-02-12%20at%205.11.41%20PM.jpeg)
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आकाशवाणी, पटना के केंद्र निदेशक रहे वरिष्ठ साहित्यकार डा किशोर सिन्हा ने कहा कि उनकी पुरानी इच्छा थी कि वे आकाशवाणी के लिए एक विज्ञान-धारावाहिक का प्रसारण हो। किंतु योग्य कथा लेखक नहीं मिल पा रहे थे। जब मुझे ज्ञात हुआ कि लेखक डा रमेश पाठक की पृष्ठभूमि विज्ञान की है तो मेरे मन में प्रेरणा हुई कि अपने मन की इच्छा इन्हें बताऊँ और उनसे यह कार्य लूँ। पाठक जी ने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार की और 'वेव एलियंस' के रूप में जो लिखा वह ऐतिहासिक बन गया, जिसे ऑल इंडिया रेडियो की ओर से सर्वश्रेष्ठ विज्ञान-धारावाहिक का पुरस्कार प्राप्त हुआ। पाठक जी ने विज्ञान और मनो-विज्ञान के साथ मानवीय-संवेदनाओं को भी इस पुस्तक में मूल्य दिया है, जो इसे विज्ञान-कथा में विशिष्ट बनाती है।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डा उदय कुमार, वरिष्ठ साहित्यकार बच्चा ठाकुर,अभिनेत्री अर्चना सोनी, अधिवक्ता मंजू झा, निकहत आरा और चंदा मिश्र ने भी लेखक को अपनी शुभकामनाएँ दी।
कृतज्ञता-ज्ञापित करते हुए लोकार्पित पुस्तक के लेखक डा पाठक ने कहा कि १८वीं शताब्दी में अंग्रेज़ी में विज्ञान-कथा का लेखन माना जाता है। किंतु मेरी दृष्टि में विज्ञान-कथा का आरंभ भारत में वैदिक-काल से ही हो चुका था। विज्ञान और दर्शन में विभेद नहीं है। जब दोनों में समन्वय होता है, तो विज्ञान-कथा आरम्भ हो जाती है।विज्ञान-साहित्य में दिल को स्पर्श करने की दृष्टि भारतीय साहित्य में है। डा किशोर सिन्हा की प्रेरणा से धारावाहिक के रूप में यह कथा लिखी गयी। जब तक लेखन की प्रक्रिया चलती रही, मैं दूसरे ही भाव-लोक में रहा।मुझे लगा कि हम सब कठपुतलियाँ हैं और कोई हमें नचाता है। ब्रह्माण्ड में सब कुछ सूक्ष्म रूप में तरंग ही है।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में, वरिष्ठ कथा-लेखिका डा पुष्पा जमुआर ने 'काश' शीर्षक से, डा पूनम आनन्द ने 'माघी-पूर्णिमा',डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने 'सुअवसर', सिद्धेश्वर ने 'बेटा-बेटी', शमा कौसर 'शमा' ने 'खामोशी', ईं अशोक कुमार ने 'कुम्भ-स्नान', कुमार अनुपम ने “अभिशाप”, रौली कुमारी ने 'तोहफ़ा', जय प्रकाश पुजारी 'मोबाइल”, श्याम बिहारी प्रभाकर ने 'फ़ोटोग्राफ़र', शंकर शरण आर्य ने 'सजा', नीता सहाय ने 'स्कूल', पी डी उपाध्याय ने महाकुंभ' तथा बी के बिहारी ने 'असली पारस' शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, मधुरेश नारायण, डा ध्रुव कुमार, मृत्युंजय गोविंद, डा अनुपम राकेश, अरुण कुमार श्रीवास्तव, शुभ चंद्र सिन्हा, सुनील कुमार, शैलेंद्र सिन्हा, श्याम मनोहर मिश्र, डा प्रेम प्रकाश, मो नसीम अख़्तर, बाँके बिहारी साव, अर्जुन प्रसाद सिंह, भास्कर त्रिपाठी, शैलेंद्र ठाकुर शांडिल्य, समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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