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पटना में शाकद्वीपीय परिवारों ने धूमधाम से मनाया अचला सप्तमी का पर्व |

पटना में शाकद्वीपीय परिवारों ने धूमधाम से मनाया अचला सप्तमी का पर्व |

पटना ०४ फरवरी २०२५ आज अचला सप्तमी के अवसर पर पटना के गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी में शाकद्वीपीय परिवारों ने सूर्य सप्तमी का अयोज किया| डॉ मुकुंद वत्स ने बताया कि सूर्य सप्तमी शाकद्वीपीय समाज का एक प्रमुख उत्सव है इस अवसर पर गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी परिसर में हवन, अनुष्ठान और मंत्रोच्चारण के साथ संसार को प्रकाशित करने वाले भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की गई।
प्रकाश मिश्र ने कहा कि भगवान भास्कर के वगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती |
डॉ राकेश दत्त मिश्र ने बतायाकि हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है यानी वे देवता जो हमें दिखाई देते हैं। साल में कई बार सूर्य से संबंधित व्रत-उत्सव भी मनाए जाते हैं। सप्तमी तिथि के स्वामी भी सूर्यदेव ही हैं। इसलिए इस तिथि पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। सूर्य देव या आदिदेव का संबंध सप्तमी तिथि से है। माघ मास में, जब शुक्ल पक्ष की सप्तमी आती है, तो श्रद्धालु इसे रथ सप्तमी या माघ सप्तमी के नाम से जानते हैं। इसे अचला सप्तमी या सूर्य जयंती भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव का जन्म माघ शुक्ल सप्तमी को हुआ था, इसलिए इसे सूर्य जयंती कहते हैं। इस तिथि को ही सूर्य देव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। भगवान सूर्य संपूर्ण संसार को प्रकाश देने वाल हैं, सभी उनकी उपासना करते हैं।
रमाकांत पाठक ने बताया कि ने कहा कि भारत के सनातन ऋषि- मनीषियों ने जीता जागता प्रत्यक्ष देव सूर्य नारायण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने तथा आरोग्य का वरदान मांगने के लिए माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी की तिथि का निर्धारण किया है। क्योंकि धरती से दूर हुए भगवान भास्कर पुण: निकट आने लगते हैं । शीत का विदाई तथा ग्रीष्म के आगमन के आहट के बीच स्वास्थ्य के प्रतीक भगवान सूर्य की जन्म जयंती मनाने की अति प्राचीन परंपरा रही है। जो मूलत: पूजा ध्यान साधना हवन आदि के द्वारा हम सब उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
इस पावन अवसर पर इनके अलावा शाकद्वीपीय समाज के अनेकानेक प्रबुद्धजन, युवा साथी, मातृ शक्ति, बुजुर्गगण, बच्चे, उपस्थित रहें । सभी ने मिलजुल कर अनुष्ठान में आहुतियां दे कर सभी के मंगल कल्याण के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना की । सभी ने सादर पूर्वक प्रसाद ग्रहण किया । इस पूजा में श्री ज्ञानवर्धन मिश्र, बसंत मिश्र, प्रियेश मिश्र, विजय शंकर मिश्र, बृज बिहारी मिश्र, चन्द्र मोहन मिश्र, दीपक कुमार मिश्र, अजय कुमार मिश्र, रूद्र मिश्र, पशुपति मिश्र, रमेश पाठक, चन्द्रशेखर पाठक, अमिताभ मिश्र, कुसुमाकर मिश्र, राकेश कुमार मिश्र, सम्पूर्णानन्द पाठक, विजयेन्द्र दत्त मिश्र, चन्दन कुमार मिश्र, अनिल कुमार पाठक, आशा मिश्र, मीरा मिश्र, अमृत राज, पियूष कुमार, सत्यप्रकाश पाण्डेय, अशोक कुमार मिश्र, आशीष मिश्र, उत्तम कुमार मिश्र, डॉ वेद प्रकाश, अमर दत्त मिश्र, अभय मिश्र, सुनीता मिश्र, प्रतिभा रानी, उमर्कांत मिश्र,नवरतन कुमार मिश्र, सुभाष चन्द्र मिश्र, शिवजी कुमार भट्ट, सुमेधा पाण्डेय, मधुलिका मिश्र, माधव पाण्डेय, राघवेन्द्र पाठक, रेवती रमण , विनोद शंकर मिश्र, राघवेन्द्र कुमार मिश्र, आशुतोष पाठक, मुकुंद वत्स, आशीष मिश्र, अनिल कुमार पाण्डेय, डॉ अजित पाठक, सुमन कुमार मिश्र, अंशु मिश्र, शौरभ कुमार मिश्र, मयंक मिश्र, प्रेम कुमार मिश्र, सरोज कुमार मिश्र, सरिता मिश्र, प्रभु मिश्र, सुगंधी पाठक, सुनीता पाण्डेय आदि उपस्थित थी |
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