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पैगाम

पैगाम

शीतल हवाओं के हाथों
आपको एक अरमान भेजा है।
सुबह की रोशनी के ज़रिए
आपको एक पैगाम भेजा है।
व्यस्ता के बीच फुरसत मिले तो
कबूल कर लेना मेरा पैगाम।
इस नाचीज ने अपनो को
सुबह का सलाम भेजा है..।।


कभी हँसते हुए छोड़
देती है ये जिंदगी।
कभी कभी रोते हुए
छोड़ देती है ये जिंदगी।
न पूर्ण विराम सुख में है
न पूर्ण विराम दुःख में है।
जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम
छोड़ देती है ये जिंदगी।।


जिंदगी में प्यार की
डोर को सजाये रखना।
अपनो को दिलो से
जिंदगी में मिलाये रखना।
क्या कुछ लेकर आये थे
इस दुनियां में हम लोग।
और क्या साथ लेकर
जाना है इस दुनिया से।
जैसे कर्म करके जाओगें
दुनियां से वैसा ही पाओगें।।


मीठे और मधुर बोलो से
अच्छे रिश्ते बनते है।
रिश्तों से ही तो जिंदगी
बड़े आराम से चलती है।
जिंदगी बहुत छोटी होती है
जीने के लिए यारों।
जो भी इनको समझता है
जिंदगी को आराम से जीता है।।


जय जिनेंद्र
 संजय जैन "बीना" मुंबई
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